अनुवादक। सरस्वतीदास
བདག་ཅག་གི་སྟོན་པ་མཉམ་མེད་ཐུབ་པའི་དབང་པོས་དང་པོར་བྱང་ཆུབ་མཆོག་ཏུ་ཐུགས་བསྐྱེད། བར་དུ་བསྐལ་པ་གྲངས་མེད་གསུམ་དུ་ཚོགས་བསགས། མཐར་མངོན་པར་རྫོགས་པར་སངས་རྒྱས་ཏེ། གདུལ་བྱ་རྣམས་ལ་ཆོས་ཀྱི་ཕུང་པོ་ཇི་སྙེད་ཅིག་བཀའ་སྩལ་བའི་ནང་ནས་རབ་དང་ཕུལ་དུ་བྱུང་བ་ནི་ཤེར་ཕྱོགས་ཀྱི་མདོ་ཡིན།
हमारे असमशास्ता मुणेंधर ने सर्वप्रथम अग्रबौधिचित्त को उत्पाद किया (तथा) मध्य में तीन असंख्य युगों तक संभार संचय किया। (और) अंत में अभीसंबुद्ध को प्राप्त करके विनयों को जितने भी धर्मस्कनध कहा है, उनमें से परम और अतिश तो प्रज्ञापारमित पक्षीय सूत्र ही है।
བདག་ཅག་གི་སྟོན་པ་མཉམ་མེད་ཐུབ་པའི་དབང་པོས་དང་པོར་བྱང་ཆུབ་མཆོག་ཏུ་ཐུགས་བསྐྱེད། བར་དུ་བསྐལ་པ་གྲངས་མེད་གསུམ་དུ་ཚོགས་བསགས། མཐར་མངོན་པར་རྫོགས་པར་སངས་རྒྱས་ཏེ། གདུལ་བྱ་རྣམས་ལ་ཆོས་ཀྱི་ཕུང་པོ་ཇི་སྙེད་ཅིག་བཀའ་སྩལ་བའི་ནང་ནས་རབ་དང་ཕུལ་དུ་བྱུང་བ་ནི་ཤེར་ཕྱོགས་ཀྱི་མདོ་ཡིན།
हमारे असमशास्ता मुणेंधर ने सर्वप्रथम अग्रबौधिचित्त को उत्पाद किया (तथा) मध्य में तीन असंख्य युगों तक संभार संचय किया। (और) अंत में अभीसंबुद्ध को प्राप्त करके विनयों को जितने भी धर्मस्कनध कहा है, उनमें से परम और अतिश तो प्रज्ञापारमित पक्षीय सूत्र ही है।
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